कैसी अजीब बात है ना...
इंसान कामियाबी के पीछे भागता है
और जब कामियाबी मिलने लगती है., तो आलसी हो जाता है
...
जब इंसान को इल्म, ज्ञान को ज़रुरत होती है, तब इंसान मीलो का सफ़र तय कर लेता है, नदियों को पार कर लेता है
लेकिन जब इंसान को ज्ञान अपने आप या मुफ्त मिलने लगता है, तब इंसान उससे आजिज़ (तंग) आ जाता है
...
ये सब हमें पता तो होता है...
लेकिन फिर भी; इंसान न जाने क्यूँ भूल जाता है....
...
...
आओ हम सब यहाँ ऐसी ही एक कोशिश का हिस्सा बने;
जो इसी भूलने की बीमारी के शिकार इंसानों को सही की याद दिलाये... !!!
इंसान कामियाबी के पीछे भागता है
और जब कामियाबी मिलने लगती है., तो आलसी हो जाता है
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जब इंसान को इल्म, ज्ञान को ज़रुरत होती है, तब इंसान मीलो का सफ़र तय कर लेता है, नदियों को पार कर लेता है
लेकिन जब इंसान को ज्ञान अपने आप या मुफ्त मिलने लगता है, तब इंसान उससे आजिज़ (तंग) आ जाता है
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ये सब हमें पता तो होता है...
लेकिन फिर भी; इंसान न जाने क्यूँ भूल जाता है....
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आओ हम सब यहाँ ऐसी ही एक कोशिश का हिस्सा बने;
जो इसी भूलने की बीमारी के शिकार इंसानों को सही की याद दिलाये... !!!